नई दिल्ली : [टाईम फॉर न्यूज़ – सहायक संपादक गौरव तिवारी ] दिल्ली राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण, भागीदारी जन सहयोग समिति ( पंजीकृत ) एवं मंडलीय शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान आर० के० पुरम के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रीय सेवा योजना – गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी, दिल्ली यूनिवर्सिटी, के० आर० मंगलम यूनिवर्सिटी , बी० पी० एस० वीमेन यूनिवर्सिटी तथा राजधानी दिल्ली की मोती बाग, दरियागंज ,केशवपुरम एवं कड़कड़डूमा चार डाइट की सहभगिता के साथ वर्ल्ड डे अगेंस्ट ड्रग एब्यूज एंड ट्रैफिकिंग के अवसर पर मादक पदार्थ एवं तस्करी उन्मूलन विषय पर वेबिनार में बोलते हुए राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग भारत सरकार की सदस्स्या रोज़ी तांबा ने कहा कि मादक पदार्थों एवं तस्करी की रोकथाम के लिए जन जागरूकता की महत्वपूर्ण भूमिका है बच्चौं को जागरूक करना अध्यापक एवं अविभावको का नैतिक कर्त्तव्य है ।
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अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश नम्रता अग्रवाल अतिरिक्त सचिव दिल्ली राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण ने विस्तार से नशे के विभिन्न प्रकारों, इसके चरण और इसके कारणों का जिक्र किया। इसके प्रभाव की चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि इसके शारीरिक प्रभाव जैसे श्वसन संबंधी बीमारी, रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी, शारीरिक कमजोरी और यहां तक कि मृत्यु भी संभव है। उन्होंने इसके मानसिक दुष्प्रभाव जैसे मस्तिष्क कोशिका की क्षति, नींद न आना और अवसाद जैसी समस्याओं का भी उल्लेख किया। इसके साथ ही उन्होंने इसके सामाजिक दुष्प्रभाव से भी श्रोताओं को अवगत कराया। इस समस्या के उपचार का उल्लेख करते हुए एनडीपीएस एक्ट 1985, के कानूनी प्रावधानों को सामने रखा। उन्होंने दिल्ली के सीलमपुर क्षेत्र में नशे के शिकार गरीब एवं मजदूर बच्चों के उपचार संबंधी अपने निजी अनुभव को भी सांझा किया।
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दिल्ली बाल बाल संरक्षण आयोग – दिल्ली सरकार के पूर्व अध्यक्ष डॉक्टर आमोद के ० कंठ ने नशे की समस्या को बाल श्रम और रैन बसेरों से जोड़ते हुए महानिदेशक पुलिस के पद पर रहते अरुणाचल प्रदेश और दिल्ली के अपने प्रयासों को साझा किया। इसके साथ ही उन्होंने यह जानकारी भी दी कि रैन बसेरों में निवास करने वालों में से 30 से 35% जनसंख्या सस्ते नशे का शिकार होती हैं।
भागीदारी जन सहयोग समिति के संरक्षक एवं अतिरिक्त आयुक्त ( श्रम ) दिल्ली सरकार डॉ राजेंद्र धर नेअपने विचार व्यक्त करते हुए नशे को सामाजिक कुरीति की संज्ञा दी और इसके उन्मूलन संबंधी सुझाव सामने रखें। उन्होंने नशा विषय को प्राथमिक स्तर के पाठ्यक्रम में शामिल करने की बात कही और इस बात का भी खुलासा किया कि किस प्रकार नशा पुनर्वास केंद्र इसके निवारण में पर्याप्त समर्थ नहीं है। उन्होंने नशे से मुक्त लोगों के आंकड़े और उन पर निगरानी रखने की बात सामने रखी।
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सर गंगा राम अस्पताल के वरिष्ठ स्वास्थ्य सलाहकार डॉक्टर सजीला मैंनी ने भी विभिन्न प्रकार के नशे से होने वाले दैनिक मौतों की ओर ध्यान दिलाया और इस बात पर दुख जताया कि सरकार राजस्व संग्रहण के लिए नशीले पदार्थों को बढ़ावा दे रही है। उन्होंने भी नशीली पदार्थों के अर्थ उनके भिन्न प्रकार और दुष्प्रभाव पर रोशनी डालते हुए छात्रों को संदेश दिया कि वह गलत चीजों को ना कहना सीखे।
भागीदारी जन सहयोग समिति के महासचिव विजय गौड़ ने नशा ना करना एक संस्कार बताते हुए कहा कि एक विशेष उम्र में बच्चों में अपना हीरो चुनना एवं कुछ नया करने की प्रबल इच्छा अच्छा हीरो वे फिल्मो से चुन लेते है और कुछ शरारती बच्चे दोस्ती का वास्ता देकर उन्हें नशा करने का दबाव बनाते है उन्होंने कहा कि अभिभावक एवं अध्यापक यदि खुद आदर्श बनकर बच्चों के हीरो बने तो दुनिया का कोई शैतान उन्हें भटका नहीं सकता नशे के खिलाफ जंग जीतना कठिन हो सकता है असम्भव नहीं इस बात पर कहा कि माना घना अँधेरा है, पर दीपक जलाना कहा मना है।
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मंडलीय शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान आर० के० पुरम की प्रधानाचार्य डॉक्टर अंजुल शर्मा ने कार्यक्रम को शिक्षाप्रद एवं प्रेरक एवं बेबीनार को जन जागरूकता का सशक्त माध्यम माध्यम बताते हुए कि इस जन जागरण के अभियान को उनके संस्थान के संकाय सदस्य-गण एवं छात्र -छात्राए जन-जन तक पहुंचाने की मिसाल कायम करेंगे, उन्हें पूर्ण आशा है।
भागीदारी जन सहयोग समिति के उपाध्य्क्ष भारत भूषण ने बताया कि दृश्म मीडिया, समाचार वार्ता, उड़ान, एजुकेशन एडवाइस, मदरलैंड वौइस् एवं एक्शन इंडिया मीडिया सहयोगियों के अथक प्रयास से बेविनार का सन्देश 4000 से अधिक लोगो तक पंहुचा उन्होंने जन जागरण के प्रति भागीदारी जन सहयोग समिति की कटिबध्यता को दोहराते हुए महिलाओं एवं बच्चों से सम्बंधित विभिन्न ज्वलंत विषयो पर बेविनार करने का उल्लेख किया।
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