नई दिल्ली : [टाईम फॉर न्यूज़ – सहायक संपादक गौरव तिवारी ] भागीदारी जन सहयोग समिति द्वारा एवं दिल्ली , अरुणाचल प्रदेश , मणिपुर एवं पंजाब की राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरणों की प्रमुख भागीदारी के साथ आयोजित राष्ट्रीय वेबिनार पर न्यायमूर्ति श्रीमती ज्ञान सुधा मिश्रा पूर्व न्यायाधीश सुप्रीम कोर्ट ऑफ़ इंडिया ने अपने उद्घाटन भाषण मैं बोलते हुए स्वीकार किया कि महिलाओं के प्रति घरेलु हिंसा की रोकथाम के अधिनियमन का दुरूपयोग भी हो रहा है न्यायमूर्ति मिश्रा ने लैंगिक संवेदनशीलता के बारे में युवा लोगों को शिक्षित करने की आवश्यकता पर बल दिया l भागीदारी जन सहयोग समिति के महासचिव विजय गौड़ ने कहा की कड़े कानून एवं पुलिस के प्रभावी क्रियान्वन के प्रयास जन सहयोग के बिना अधूरे है क्योकि कितने ही अपराधी गवाहियों एवं सबूतों के अभाव में सजा से बच जाते है ।
अरुणाचल प्रदेश प्राधिकरण की सदस्य सचिव न्यायाधीश सुश्री जवाप्लू चाई ने कहा कि राज्य में बहुविवाह की समस्या के हल के लिए महिलाओं को कानूनी साक्षरता अभियानों द्वारा शिक्षित किया जा रहा है ताकि वे अपने अधिकारों को समझ सके l पूर्व अतिरिक्त उपायक्त पुलिस दिल्ली एस के तोमर ने घरेलू हिंसा के मामलों में महिला प्रकोष्ठ की भूमिका और पुलिस मशीनरी के महत्व के बारे में विस्तार से बताया। दिल्ली प्राधिकरण की अतिरिक्त सचिव न्यायाधीश नमृता अग्रवाल ने प्राधिकरण की एक बहुत ही अभिनव पहल पर चर्चा की, जहां प्राधिकरण ने मदर डेयरी बूथ और फार्मासिस्ट शॉप के साथ मिलकर घरेलू शोषण की रिपोर्टिंग के लिए एक केंद्र के रूप में काम करने का माध्यम बनाया जो सफल साबित हुआ। डॉ0 राजुलबेन देसाई, सदस्य, राष्ट्रीय महिला आयोग ने घरेलू हिंसा के पीड़ितों को सहायता प्रदान करने में राष्ट्रीय महिला आयोग की सराहनीय भूमिका पर प्रकाश डाला । उन्होंने घरेलू हिंसा की घटनाओं की रिपोर्टिंग के लिए महिलाओं मे जागरूकता की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि वे निडर होकर न्याय के लिए आगे आये ।
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पंजाब प्राधिकरण के अतिरिक्त सदस्य सचिव न्यायाधीश डॉ0 मनदीप मित्तल ने अपने अनुभव को साझा करते हुए बताया की जब पंजाब में ऐसे मामले बढ़ रहे थे जहां पुरुष अपनी पत्नी को छोड़कर विदेश भाग रहे थे तो उन्होंने अपने रचनात्मक प्रयोग एवं प्रयास से कानून के प्रावधानों को पीड़ित महिलाओं के हित मे प्रयोग करते हुए अध्ययन किया कि कैसे किसी व्यक्ति के पासपोर्ट को निलंबित करने के लिए अदालत की शक्ति कैसे इस तरह के मामलों में अभियुक्त को बुलाने में मदद करती है और इस तरह उन्होने अनेको पीड़ित महिलाओं की मदद की l गुरप्रीत दियो अतिरिक्त महानिदेशक पंजाब पुलिस ने अपने संबोधन में कानून के उचित कार्यान्वयन पर जोर दिया और महिलाओं को स्वतंत्र होने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने काउंसलिंग में पुलिस की भूमिका और पंजाब पुलिस की पहल जैसे ” महिला मित्र के बारे में बताया जिसमें महिला अधिकारियों को पीड़ित के प्रति संवेदनशील होने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है।
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मणिपुर प्राधिकरण की सदस्य सचिव न्यायाधीश जी० गोलमई ने कानूनी जागरूकता फैलाने में प्राधिकरण की भूमिका पर चर्चा की। उन्होंने घरेलू हिंसा के पीड़ितों की सहायता के लिए प्राधिकरण द्वारा पुलिस और जिला प्राधिकरण परामर्श सत्र के बीच संचार की सुविधा के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रमों एवं संपर्क अधिकारियों की नियुक्ति की उपयोगिता के बारे में भी बताया। डिविनिटी हील्स की संस्थापक निदेशिका सुश्री मनीषा चोपड़ा ने घरेलू हिंसा के शिकार लोगों के सामने आने वाले आघात और पीड़ित महिलाओं की काउंसलिंग के महत्व पर प्रकाश डाला ताकि पीड़िता अपने साथ हुए दुर्व्यवहार का सामना कर सकें। डॉ० साधना शर्मा प्राचार्य श्यामा प्रसाद मुखर्जी कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय ने कानूनी साक्षरता पर जोर दिया l कार्यक्रम आयोजन मे राष्ट्रीय सेवा योजनागुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी , श्यामा प्रसाद मुख़र्जी कॉलेज , राष्ट्रीय सेवा योजनाजे० सी० बोस यूनिवर्सिटी ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी , दा प्राइड : वॉइस ऑफ़ राइट्स , राष्ट्रीय सेवा योजना राजीव गाँधी यूनिवर्सिटी , आर्ट्स फैकल्टी स्वामी विवेकानद सुभारती यूनिवर्सिटी के सहभगिता रही।
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