पूर्वी दिल्ली : [ टाईम फॉर न्यूज़ -रवि डालमिया ] पत्रकारों की फुदकुशी का ये कोई पहला मामला नहीं है देश में पत्रकारों का जिसतरह शोषण हो रहा है वो बेहद दुखत व निंदनीय है कही दैनिक व बड़े अख़बार साप्ताहिक अखबारों में काम करने वाले कर्मचारियों का शोषण करते नज़र आते है तो कहि बड़े मीडिया हाउस में अपने ही कर्मचारियों का शोषण करने की खबरें आम बात सी हो गयी है वही अब हिन्दी खबर नामक न्यूज़ चैनल के एक कैमरामैन ने 16 मई को खुदकुशी कर ली। दो दिन की छुट्टी के बाद जब ड्यूटी पर नहीं पहुंचे सत्येंद्र तो ऑफिस से फोन आया तो सबको पता चला।
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यह जानकारी सामने आयी कि कई महीनों से तनख्वाह नहीं मिली था। घर में पैसे नहीं थे। पत्नी बीमार रहा करती थीं। दो छोटे-छोटे बच्चे हैं। जिन्दगी के तीसरे दशक में ही एक पत्रकार की जिन्दगी दम तोड़ गयी। खुद मुझे यह जानकारी कल अपने एक पत्रकार साथी से मिली जो स्वर्गीय सत्येंद्र के साथ काम किया करते थे। कहीं किसी मीडिया में कोई ख़बर नहीं है। बड़े न्यूज़ चैनल छोटे न्यूज़ चैनलों के मीडियाकर्मियों को पत्रकार नहीं मानते। छोटे न्यूज़ चैनल इसलिए ख़बर नहीं बताते कि ‘हमाम में सभी नंगे हैं’।
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मगर, सवाल है कि पत्रकार क्यों नहीं आवाज़ उठाते। एक पत्रकार साथी सैलरी नहीं मिलने की वजह से मौत को गले लगा गया। और, तमाम पत्रकार खामोश हैं! पत्रकार, ब्रॉडकास्टर और मीडिया संस्थानों से मैं, प्रेम कुमार, अपील करता हूं कि कैमरापर्सन सत्येंद्र के परिजनों की पूरी मदद की जाए। सूचना और प्रसारण मंत्रालय भी इस खबर का संज्ञान ले।
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