- जुल॰, 21 2023
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आत्मघृणा के जड़
भारतीय समाज में आत्मघृणा की जड़ें बहुत गहरी हैं। यह मानसिकता हमारे इतिहास, सांस्कृतिक और सामाजिक प्रभाव के कारण उत्पन्न हुई है। हमें ऐसा क्यों लगता है कि हमारा देश और हमारी संस्कृति बाकी दुनिया से कमजोर है? हम अपने देश की तारीफ करने की बजाय उसे निराशाजनक क्यों समझते हैं? इसका जवाब जानने के लिए हमें अपने इतिहास में जाना होगा।
ब्रिटिश शासन के प्रभाव
ब्रिटिश शासन के समय, भारत को एक पिछड़ा और अशिक्षित देश बताया गया था। ब्रिटिश सरकार ने हमारी संस्कृति, भाषा, धर्म और इतिहास को नकारा और हमें अपनी ही आत्मा से विमुख कर दिया। इस नकारात्मक प्रभाव का असर आज भी हमारे मानसिकता पर दिखाई देता है।
मीडिया की भूमिका
मीडिया ने भी अपने आपको और अपने देश को घृणा करने की प्रवृत्ति को बढ़ावा दिया है। अक्सर हम देखते हैं कि मीडिया विदेशी संस्कृति की तुलना में भारतीय संस्कृति को हल्का समझता है। इससे हमारी पीढ़ी को यह संदेश मिलता है कि उनका देश और उनकी संस्कृति दुसरों से कम है।
ग्लोबलीकरण का प्रभाव
ग्लोबलीकरण ने हमें विश्व के अन्य देशों के साथ जोड़ा है, लेकिन इसने हमें हमारी स्वदेशीता और अस्तित्व को भी खोने के लिए मजबूर किया है। हम अन्य देशों की संस्कृति, रीति-रिवाज और जीवनशैली को अपनाने के लिए इतने उत्साहित हो गए हैं कि हमने अपनी खुद की संस्कृति को भूलना शुरू कर दिया है।
आत्मसम्मान की कमी
अपने देश और खुद की घृणा करने का मूल कारण है आत्मसम्मान की कमी। जब हम अपने आप को और अपने देश को दूसरों से कम मानते हैं, तब हमें अपने आपको और अपने देश को घृणा करने की प्रवृत्ति होती है।
परिवर्तन की आवश्यकता
अपने देश और खुद की घृणा करने की इस प्रवृत्ति को बदलने के लिए, हमें अपना दृष्टिकोण बदलने की आवश्यकता है। हमें अपनी संस्कृति, भाषा, धर्म और इतिहास की गर्व करना चाहिए। हमें अपने देश की तारीफ करनी चाहिए, बजाय इसके कि हम उसे निराशाजनक मानते हैं।
स्वाभिमान की ओर कदम
हमें अपने देश और अपने आपको घृणा करने के बजाय उन्हें सम्मान देना चाहिए। हमें अपने देश की तारीफ करनी चाहिए और उसकी उपलब्धियों पर गर्व करना चाहिए। हमें अपने देश के खिलाफ नकारात्मक दृष्टिकोण को छोड़कर सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। यदि हम यह करेंगे, तो हम अपने देश और अपने आपको घृणा करने की बजाय उन्हें प्रेम करना शुरू कर देंगे।
राजीव मानव
मैं राजीव मानव, मीडिया, संगीत और समाचार के क्षेत्र में विशेषज्ञ हूं। यह मेरा जीवन संग्रहीत करने और लोगों को सूचना देने के लिए एक अद्वितीय माध्यम है। मैं भारतीय समाचार और भारतीय जीवन के विषय में लिखना पसंद करता हूं। मेरे लिखने में लोक जीवन की गहरी समझ दिखती है। बिना किसी गदरोध के, मैंने हमेशा अपने काम को प्राथमिकता दी है।