समाचार चैनलों की समीक्षा: टीवी पर कौन सी खबरें भरोसेमंद हैं?
अगर आपने कभी सोचा है कि टीवी पर दिखने वाली खबरें इतनी तेज़ और अक्सर चिढ़ाने वाली क्यों होती हैं, तो आप अकेले नहीं हैं। कई चैनल टीआरपी की रेस में संवेदनशीलता छोड़ देते हैं। यहाँ मैं साफ-सुथरे तरीके से बताऊंगा कि कहाँ कमी रहती है और आप कैसे बेहतर बना सकते हैं अपनी खबर देखने की आदत।
कठोर वजहें: टीआरपी, विज्ञापन और स्पीड
पहली बड़ी वजह है टीआरपी। जो चैनल ज्यादा ड्रामा दिखाएगा, उसे ज़्यादा दर्शक मिलते हैं। दूसरा, विज्ञापन आय पर निर्भरता—चैनलों को विज्ञापन चाहिए और विज्ञापन वाले अक्सर हाई-एम्पैक्ट कंटेंट चाहते हैं। तीसरा, ‘‘ब्रेकिंग’’ का दबाव। रिपोर्टर और एंकर तेजी में खबर चलाते हैं, जबकि तथ्य जाँच अभी भी बाकी रह जाते हैं।
इन तीन कारकों का परिणाम? आधी जांच, ज्यादा आरोप-प्रत्यारोप और रिवाइंड करने पर वक्त पर सटीक जानकारी नहीं मिलना। उदाहरण के तौर पर किसी दुर्घटना की लाइव कवर करते हुए नाम-ठीक जानकारी के बिना अनुमान प्रस्तुत कर दिया जाता है।
देखने वाले के लिए व्यवहारिक संकेत और उपाय
आप कैसे पहचानें कि चैनल भरोसेमंद है या नहीं? कुछ सरल संकेत हैं: क्या चैनल स्रोत बताता है? क्या पूरी रिपोर्ट में सिर्फ एक ही व्यक्ति की राय नहीं दिखाई जा रही? क्या बाद में सही जानकारी देकर संशोधन किया गया? अगर नहीं, तो सतर्क हो जाइए।
फैक्ट-चेक करने के आसान तरीके: खबर के प्रमुख बिंदुओं को गूगल पर अलग-अलग स्रोतों से क्रॉस-चेक करें, सरकारी या आधिकारिक बयान खोजें, और अगर तस्वीर या वीडियो संदिग्ध लगे तो रिवर्स इमेज सर्च आज़माएँ।
देखने की आदत बदलने से भी फर्क पड़ता है। हर ब्रेकिंग हेडलाइन पर तुरंत प्रतिक्रिया देना छोड़ें। सुबह या शाम को दो-तीन भरोसेमंद स्रोतों से खबरें मिलाकर पढ़ें। छोटे-छोटे क्लिपों में खोकर तथ्य छूट जाते हैं—लंबी रिपोर्ट और रिपोर्टर का स्रोत बताना ज़रूरी है।
चैनलों के सुधार के लिए क्या हो सकता है? स्वतंत्र संपादकीय मानक और पारदर्शिता जरूरी है—किस रिपोर्ट के पीछे कौन सा स्रोत था, उसे दिखाना चाहिए। साथ में गलत सूचना पर तुरंत सुधार और स्पष्ट माफी देने की परंपरा अपनानी चाहिए।
अंत में, दर्शक भी शक्तिशाली हैं। अगर आप किसी चैनल की शैली से नाख़ुश हैं, उसे बताइए, सोशल मीडिया पर मांग कीजिए और उन चैनलों को सपोर्ट कीजिए जो साफ-सुथरी रिपोर्टिंग करते हैं। छोटी आदतें बदलें—थोड़ी जांच, थोड़ा धैर्य—यह आपको और मीडिया दोनों को बेहतर बनाएगा।