फ्रांस में भारी प्रदर्शन: मैक्रों सरकार के खिलाफ ‘ब्लॉक एवरीथिंग’ की लहर, 80,000 पुलिस तैनात, सैकड़ों गिरफ्तार
  • सित॰, 11 2025
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पेरिस में आग, देशभर में जाम: ‘ब्लॉक एवरीथिंग’ ने फ्रांस को रोक दिया

गारे दु नॉर के बाहर धुआं, सायरन और आंसू गैस—बुधवार, 10 सितंबर 2025 को फ्रांस प्रदर्शन एक बार फिर सड़कों पर हावी रहे। ‘ब्लॉक एवरीथिंग’ नाम से चल रहे इस मूवमेंट ने मैक्रों सरकार के खिलाफ देशव्यापी विरोध को एक साथ जोड़ दिया। वजह सीधे-सीधी बताई गई—राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने अपने करीबी सहयोगी सेबास्तियन लेकोर्नू को नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया, और इससे नाराजगी फूट पड़ी।

राजधानी पेरिस में भीड़ ने कई इलाकों में सड़कों को जाम किया। गारे दु नॉर—जो शहर के सबसे व्यस्त रेल जंक्शनों में से एक है—के आसपास जुलूसों ने यातायात ठप कर दिया। पूर्वी पेरिस के पोर्ट दे मोंत्रेय में कूड़ेदान जलाए गए और ट्राम ट्रैक बाधित करने की कोशिशें हुईं। रात तक कई जगह पुलिस बैरिकेड लगाए गए, लेकिन उग्र समूहों ने इन्हें धक्का देकर पार करने की कोशिश की।

विरोध सिर्फ राजधानी तक सीमित नहीं रहा। पश्चिमी शहर रेन में एक बस को आग लगा दी गई। दक्षिण-पश्चिम के कुछ हिस्सों में बिजली की लाइनों को नुकसान पहुंचने की खबरें आईं, जिससे प्रभावित रूटों पर ट्रेनें रोकी गईं। जहां-जहां सड़कें ब्लॉक हुईं, वहीं आपात सेवाओं और पब्लिक ट्रांसपोर्ट को मोड़ना पड़ा।

हालात पर काबू पाने के लिए सरकार ने 80,000 पुलिसकर्मी और जनदार्म देशभर में तैनात किए—यह संख्या किसी एक दिन के लिए असामान्य तौर पर बड़ी मानी जा रही है। कई जगहों पर भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल हुआ। शुरुआती घंटों में ही लगभग 200 लोगों को हिरासत में लिया गया। गृह मंत्री ब्रूनो रितेलो ने प्रदर्शनकारियों पर देश में ‘विद्रोही वातावरण’ बनाने की कोशिश का आरोप लगाया और कहा कि सार्वजनिक व्यवस्था बहाल करना सरकार की प्राथमिकता है।

दिनभर की घटनाओं में एक पैटर्न साफ दिखा—छोटी-छोटी टुकड़ियों में जुट कर तेज़ी से सड़कें रोकना, फिर पुलिस दबाव बढ़ते ही दूसरी जगह खिसक जाना। सोशल मीडिया पर बने चैनलों और ग्रुपों में ‘ब्लॉक एवरीथिंग’ की कॉल घूमती रही, जिससे भीड़ जुटाने का काम तेज़ रहा। कई दुकानदारों ने शाम तक शटर नीचे कर दिए और कुछ इलाकों में स्थानीय प्रशासन ने एहतियाती तौर पर यातायात डायवर्ट कर दिया।

  • हॉटस्पॉट: पेरिस का गारे दु नॉर और पोर्ट दे मोंत्रेय; रेन में बस पर आगजनी
  • यातायात पर असर: कई मार्ग बाधित, कुछ सेक्शनों में ट्रेन सेवाएं रुकीं
  • सुरक्षा मोर्चा: 80,000 पुलिस/जनदार्म, भीड़ नियंत्रण के लिए आंसू गैस
  • कानूनी कार्रवाई: शुरुआती घंटों में 200 के आसपास गिरफ्तारियां

क्यों भड़का गुस्सा, और आगे तस्वीर कैसी दिखती है

इस विरोध की चिंगारी नई प्रधानमंत्री नियुक्ति से निकली—सेबास्तियन लेकोर्नू, जो पहले रक्षा मंत्री रह चुके हैं और मैक्रों के भरोसेमंद चेहरे माने जाते हैं। आलोचकों का कहना है कि इससे सत्ता में ‘नई शुरुआत’ की उम्मीदों को झटका लगा और मौजूदा नीतियों का ही ‘कंटिन्यूएशन’ दिखा। एक हिस्से के लिए यह प्रतीक बन गया कि सरकार बदलाव सुनने के बजाय अपने सर्किल को ही और मजबूत कर रही है।

फ्रांस में बड़े आंदोलनों की यादें ताज़ा हैं—2018 के ‘पीली जैकेट’ विरोध से लेकर 2023 की पेंशन सुधार की लड़ाई तक। उस सिलसिले में ‘ब्लॉक एवरीथिंग’ कोई अनसुनी रणनीति नहीं, बल्कि वही पुराना दबाव बनाने का तरीका है—सड़कों और सेवाओं को रोककर सरकार का ध्यान खींचना। फर्क इतना है कि इस बार नारा सीधा-सीधा ‘देश को रोक दो’ जैसा है, और यह तेजी से ट्रेंड होकर अलग-अलग शहरों में फैल गया।

जमीन पर शिकायतों की लिस्ट लंबी है—जीवन-यापन महंगा होना, सार्वजनिक सेवाओं पर दबाव, और सुरक्षा-व्यवस्था को लेकर अविश्वास। जब प्रधानमंत्री के तौर पर लेकोर्नू का नाम आया, तो बहुत से लोगों ने इसे ‘नीतियों में बदलाव’ नहीं, बल्कि ‘उसी टीम के साथ आगे बढ़ना’ माना। यही धारणा आग में घी साबित हुई।

पुलिसिंग को लेकर भी बहस गर्म है। फ्रांसीसी भीड़-नियंत्रण मॉडल—कप्पिंग, बैरिकेडिंग, और आंसू गैस—तेज़ कार्रवाई पर टिका है। समर्थक कहते हैं कि बड़े शहरों में हिंसा रोकने को यही जरूरी है। विरोधियों का तर्क है कि इससे शांतिपूर्ण जत्थे भी आक्रामक हो जाते हैं और झड़पें अनावश्यक बढ़ती हैं। बुधवार को कई जगह वही हुआ—जहां शांत बैठकों की शुरुआत हुई, कुछ घंटों बाद वही जगहें धुएं और भगदड़ में बदल गईं।

कानूनी मोर्चे पर तस्वीर साफ है—प्रशासन को ऐसे समय अस्थायी प्रतिबंध लगाने और जोखिम वाले इलाकों में घेराबंदी का अधिकार है। हिरासत में लिए गए लोगों पर आगजनी, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान और सार्वजनिक व्यवस्था भंग करने जैसी धाराएं लग सकती हैं। लेकिन असली कड़ियां अदालत में जुड़ेंगी—किसके खिलाफ क्या सबूत हैं, यह आने वाले दिनों में तय होगा।

आर्थिक असर अभी शुरुआती है, पर संकेत साफ हैं—लॉजिस्टिक्स में देरी, रिटेल इलाकों में ग्राहक कम, और शहरी परिवहन पर दबाव। रेल ऑपरेटरों और शहर प्रशासन को सामान्य स्थिति बहाल करने में समय लग सकता है, क्योंकि ट्रैक, सड़कों और सिग्नल सिस्टम की जांच और मरम्मत करनी होगी। जिन रूटों पर बिजली ढांचे को नुकसान पहुंचा है, वहां पूरी बहाली में अतिरिक्त सावधानी बरतनी पड़ेगी।

राजनीतिक रूप से यह पल मैक्रों शासन के लिए कठिन है। नई कैबिनेट की दिशा क्या होगी, सामाजिक-आर्थिक एजेंडा में क्या बदलाव दिखेंगे—लोग यही देखना चाहते हैं। अगर सरकार सख्ती के साथ संवाद भी बढ़ाती है—जैसे शहर-स्तर पर सुनवाई, कुछ संवेदनशील फैसलों की समीक्षा, और समयबद्ध रोडमैप—तो तनाव कम हो सकता है। फिलहाल, शांति की अपीलें और भारी सुरक्षा तैनाती से हालात को काबू में रखने की कोशिश जारी है।

अगले कुछ दिनों में दो बातें अहम रहेंगी—क्या ‘ब्लॉक एवरीथिंग’ एक दिन की लहर साबित होता है या यह संगठित चरणों में बदलता है; और क्या सरकार भरोसे के संकेत देती है। पेरिस, रेन और दक्षिण-पश्चिमी कॉरिडोर में नजरें टिकी रहेंगी, क्योंकि वहीं से हालात बदलने के पहले संकेत मिलेंगे। सुबह की ट्रैफिक अपडेट में भी सबसे ज्यादा यही पूछा जाएगा—कौन-सा रास्ता खुला है, और ट्रेन कब पटरी पर लौटेगी।

राजीव मानव

राजीव मानव

मैं राजीव मानव, मीडिया, संगीत और समाचार के क्षेत्र में विशेषज्ञ हूं। यह मेरा जीवन संग्रहीत करने और लोगों को सूचना देने के लिए एक अद्वितीय माध्यम है। मैं भारतीय समाचार और भारतीय जीवन के विषय में लिखना पसंद करता हूं। मेरे लिखने में लोक जीवन की गहरी समझ दिखती है। बिना किसी गदरोध के, मैंने हमेशा अपने काम को प्राथमिकता दी है।

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