भारतीय समाचार चैनल: भरोसेमंद खबर कैसे चुनें

क्या आपने कभी सोचा है कि कौन सा समाचार चैनल सच में भरोसेमंद है और कौन सा सिर्फ हेडलाइन बनाता है? आज के समय में टीवी और डिजिटल दोनों जगह खबरें तेजी से फैलती हैं। पर हर तेज खबर सच नहीं होती। इसलिए जानना जरूरी है कि किसी भारतीय समाचार चैनल की रिपोर्टिंग की गुणवत्ता कैसे जाँचें।

सबसे पहले यह देखिए कि चैनल खबरों को किस तरह पेश करता है। क्या वह सिर्फ शोर मचाता है या स्रोत दिखाता है? क्या संवाददाता现场 रिपोर्ट दे रहे हैं या सिर्फ एंकर की राय जा रही है? लाइव तस्वीरें, मौके पर मौजूद रिपोर्टर और स्रोत का उल्लेख—ये छोटे संकेत होते हैं जो विश्वसनीयता बताते हैं।

विश्वसनीयता जांचने के आसान तरीके

एक चैनल की पहचान करने के लिए कुछ सीधी आदतें अपनाइए। पहली, किसी बड़ी खबर को कम से कम दो-तीन स्रोतों से क्रॉस-चेक करें। दूसरी, समाचार का समय और घटना के ठोस सबूत देखें—वीडियो, फोटो, सरकारी बयान या अस्पताल/पुलिस रिपोर्ट। तीसरी, चैनल के मालिकाना हक और फंडिंग पर नजर रखें; कहां से पैसा आता है, यह कभी-कभी कवर की दिशा पर असर डालता है।

ध्यान रखें कि विश्लेषण और रिपोर्टिंग में फर्क होता है। स्टूडियो में चलने वाली बहस अक्सर राय होती है, जबकि फील्ड रिपोर्टिंग तथ्य पर आधारित होनी चाहिए। अगर आप किसी खबर की सच्चाई पाना चाहते हैं तो रिपोर्ट और ओपिनियन को अलग समझें।

कहां से देखें और कैसे फ़ॉलो करें

आज कई चैनल टीवी के साथ अपने ऐप और यूट्यूब चैनल भी चलाते हैं। मोबाइल नोटिफिकेशन सेट करें लेकिन हेडलाइन पढ़कर तुरंत शेयर न करें। सोशल मीडिया पर किसी रिपोस्ट या क्लिप के साथ असली रिपोर्ट को खोजें। भरोसेमंद चैनल के पत्रकारों को फॉलो करना अच्छा तरीका है—आप सीधे उनसे अपडेट और स्रोत देख पाएँगे।

क्षेत्रीय भाषा के चैनल स्थानीय घटनाओं में तेज होते हैं, पर राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य के लिए बड़े अखबारों और न्यूज़ एजेंसियों से तुलना करें। आप पेशेवर तथ्य-जाँच वेबसाइट्स और प्रेस काउंसिल के आदेश भी देख सकते हैं जब किसी चैनल पर पक्षपात या गलत रिपोर्टिंग का आरोप लगे।

अंत में, अपनी स्मार्टनेस लगाइए: अगर कोई खबर बहुत अजीब या चौंकाने वाली लगे तो तुरंत रिएक्शन देन से पहले जांचें। छोटे संकेत—टाइमस्टैम्प, स्रोत का नाम, और मल्टीपल रिपोर्ट—यह बताते हैं कि खबर वास्तविक है या नहीं।

समय की खबर पर आप इसी टैग से जुड़ी तमाम रिपोर्ट पढ़ सकते हैं और अलग-अलग दृष्टिकोण देखकर खुद निर्णय लें। सही चैनल चुनना आदत की बात है—थोड़ा सावधान रहिए और बेहतर जानकारी हासिल कीजिए।

भारतीय समाचार चैनल इतने लापरवाह और चिढ़ाचिढ़ा क्यों होते हैं?

भारतीय समाचार चैनल इतने लापरवाह और चिढ़ाचिढ़ा क्यों होते हैं?

  • मई, 10 2023
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भारतीय समाचार चैनलों के लापरवाह और चिढ़ाचिढ़ा होने के कई कारण हैं। सबसे पहले, टीआरपी की होड़ में ये चैनल अक्सर संवेदनशील मुद्दों पर ध्यान नहीं देते हैं। दूसरी बात, पत्रकारिता की नैतिकता की कमी के कारण उन्हें सच्चाई के बजाय सेंसेशन बनाने में अधिक दिलचस्पी होती है। तीसरी बात, प्रतिस्पर्धा के कारण वे अक्सर तुरंत खबर देने की बजाय बिना तथ्यों की जाँच करें उड़ान भरते हैं। इसके अलावा, समाचार चैनलों के विज्ञापन आय के बढ़ते निर्भरता ने उन्हें व्यवसायिक दबाव में डाल दिया है। इन सभी कारणों के चलते, भारतीय समाचार चैनल अक्सर लापरवाह और चिढ़ाचिढ़ा होते हैं।