मीडिया पक्षपात: पहचानें, समझें और कैसे मुकाबला करें

क्या आपने कभी सोचा है कि एक ही खबर अलग-अलग चैनलों पर अलग तरह से क्यों दिखती है? यही मीडिया पक्षपात है — खबर का चुना हुआ तरीका, जो आपकी राय बनाने में असर डालता है। यहाँ आसान भाषा में बताऊँगा कि पक्षपात कैसे काम करता है, उसे कैसे पहचानें और आप क्या कर सकते हैं।

पक्षपात क्या दिखता है

कभी-कभी खबर का हीडलाइन घातक होता है — वह सिर्फ ध्यान खींचने के लिए संवेदनशील शब्द ढूँढता है। कभी रिपोर्ट में महत्वपूर्ण तथ्य छूट जाते हैं या एक ही स्रोत बार-बार दिखाया जाता है। टीवी पर बार-बार वही मेज़बान और एक जैसे मेहमान मिलना भी संकेत है कि किसकी आवाज़ बढ़ाई जा रही है। सभी ये रूप हैं, सीधे और छुपे हुए।

ध्यान रखें: अलग-अलग चैनल किसी एक ही घटना को अलग फ्रेम में पेश कर सकते हैं — इससे दर्शक का नजरिया बदलता है। फ्रेमिंग, चयनित तस्वीरें, और किस बात को प्रमुखता दी जाए — ये छोटे-छोटे फैसले मिलकर पक्षपात बनाते हैं।

इसे कैसे पहचानें — सीधे तरीके

पहला तरीका: एक ही खबर को कम-से-कम तीन अलग स्रोतों से पढ़/देखें। अगर शीर्षक और रंग-ढंग अलग है तो फ्रेमिंग पर ध्यान दें।

दूसरा: क्या रिपोर्ट में संदर्भ, आंकड़े और स्रोत दिए गए हैं? बिना स्रोत के दावा अधिकतर एकतरफा होता है।

तीसरा: क्या रिपोर्ट भावनाओं को उकसाती है? क्रोध, डर या घृणा जगाने वाली भाषा अक्सर पक्षपात को तेज करती है।

चौथा: क्रॉस-चेक करें — सरकारी बयान, रिपोर्ट, या सीधे वीडियो/दस्तावेज़ देखें। कभी-कभी पूरा सच मूल दस्तावेज़ में अलग दिखता है।

पांचवा: मालिकाना और विज्ञापन देखें। किस कंपनी के पास चैनल है और कौन विज्ञापन दे रहा है — यह देखना जुगाड़ नहीं, समझ है।

यदि आप ये आसान स्टेप अपनाएँगे, तो रोज़मर्रा की खबरें ज्यादा साफ़ दिखेंगी और आप तेजी से पक्षपात पहचान पाएँगे।

जब आप पक्षपात पाते हैं तो चुप न रहें: सही जानकारी साझा करें, सोर्स दिखाएँ और शांति से सवाल पूछें। सोशल मीडिया पर सनसनी फैलाने वाले पोस्ट को रिपोर्ट करें और भरोसेमंद फ़ैक्ट-चेकिंग साइटों की जाँच करें।

हमारी साइट पर भी इस टैग से जुड़ी कुछ रिपोर्ट हैं जो मदद करेंगी — जैसे "भारतीय समाचार चैनल इतने लापरवाह और चिढ़ाचिढ़ा क्यों होते हैं?" और "कौनसा भारतीय समाचारपत्र सामान्य रूप से न्यूट्रल है?" इन्हें पढ़कर आपको असल दुनिया के उदाहरण मिलेंगे।

मीडिया पक्षपात पूरी तरह रोका नहीं जा सकता, पर आप उसे पहचानकर अपनी सोच बचा सकते हैं। छोटी आदतें — स्रोत देखना, तुलना करना और शांत रहकर चर्चा करना — बड़ी फर्क डालती हैं। अगर आप चाहें तो इसी टैग पर और लेख पढ़कर रोज़मर्रा की खबरों को समझने में तेज़ हो सकते हैं।

क्या इंडिया टुडे न्यूज़ पक्षपाती है या निष्पक्ष?

क्या इंडिया टुडे न्यूज़ पक्षपाती है या निष्पक्ष?

  • जुल॰, 20 2023
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मेरे ब्लॉग में मैंने इंडिया टुडे के न्यूज़ की पक्षपाति स्थिति पर चर्चा की है। कई लोग मानते हैं कि इंडिया टुडे अपनी खबरों में पक्षपात करता है, जबकि कुछ लोग इसे निष्पक्ष समाचार संस्था मानते हैं। मैंने अपने ब्लॉग में इंडिया टुडे के कुछ विवादित कवरेज के उदाहरण दिए हैं और यहां तक कि कुछ निष्पक्ष रिपोर्टिंग के उदाहरण भी दिए हैं। अंत में, मैंने यह स्पष्ट किया है कि पाठकों को स्वयं निर्णय लेना चाहिए कि वे इंडिया टुडे को पक्षपाती मानते हैं या निष्पक्ष।